अपनी बात शुरू करते हैं रामू-श्यामू की कहानी से
रामू ने श्यामू को एक टोकरी दिखाते हुए प्रश्न पूछा- श्यामू बता सकते हो इस टोकरी में क्या है? अगर बता दिया तो सारे आम तुम्हारे। श्यामू सोचता रहा, सोचता रहा पर बता नहीं पाया।
रामू ने कहा कोई बात नहीं दूसरा प्रश्न पूछता हूँ बताओ इसमें कितने आम है सही बताओगे तो सारे आठों के आठौं आम तुम्हारे। श्यामू फिर सोच में पड़ गया, वह फिर जवाब न दे सका।
रामू ने कहा चलो अगर तुमने ये बता दिया कि ये आम कौन से हैं तो ये दशहरी आम भी तुम्हारे। श्यामू ने फिर दिगाम पर जोर डाला पर उसे जवाब नहीं सूझा। कुछ समय बाद उसने रामू से कहा कि यार कुछ संकेत तो दो तभी तो जवाब दे पाऊँगा।
वास्तव में श्यामू समझ ही नहीं पाया जवाब तो प्रश्नों में ही छुपे हुए थे।
कहो आया ना मजा .......
अच्छा बताओ यह कहानी यहाँ क्यों बताई। सही समझे .....
बहुत सी बातें हमें मालूम होती है पर हमारा ध्यान उस और नहीं जाता।
प्रकृति हमें सदैव स्वस्थ रहने हेतु शुद्ध हवा, पानी, धान्य, सागसब्जी, फल-फूल आदि देती है बीमारी आने के पहले लक्षणों के द्वारा चेतावनी भी देती है पर हम श्यामू की भांति उन पर ध्यान नहीं देते और अनुचित खानपान की ओर आकर्षित होते रहते हैं।
प्रसिद्ध एण्डो क्रायनोलाजिस्ट डॉ. जे.आर. डेश का कहना है कि व्यायाम न करने, पैदल न चलने, फास्टफूड खाने, शीतल पेय पीने के कारण बच्चे व किशोर तेजी से मधुमेह के रोगी होते जा रहे हैं। प्रसिद्ध पोषण विशेषज्ञ प्रो. उमेश कपिल जंकफूड को उदररोग की बीमारियों का बड़ा कारण मानते हैं। पीज्जा, बर्गर, नूडल्स आदि के कारण अमेरिका में प्रतिवर्ष 4 लाख लोग मोटापे के कारण होने वाली बीमारियों से मर जाते हैं। हमारे देश में भी 27 प्रतिशत मोटापे के शिकार हैं।
लंदन में 10 हजार बच्चों पर किए परीक्षण के परिणाम बताते हैं कि जो बच्चें सब्जियाँ, दालें व भरपूर पानी लेते हैं उनका दिमाग तेज रहता है। लेकिन जो बच्चे डिब्बा बंद और जंक फूड खाते हैं वे दूसरे लोगों के प्रति असहनशील हो जाते हैं।
यह सब बताने के बाद श्यामू जैसा ये तो नहीं कहोगे न कि कोई संकेत दो।
विद्यार्थी जीवन से ही बच्चें अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बने इस हेतु हमारी संस्था आरोग्य भारती निरन्तर प्रयासरत है।
डॉ. मधुसूदन देशपाण्डे
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