मित्र का अर्थ होता है हितैषी। आपदा के समय सबसे पहले आने वाला, कंघे से कंधा मिलाकर चलने वाला विश्वस्त सहयोगी। यह एक सर्वसाधारण कल्पना “मित्र“ के प्रति हम सबके मन में रहती है। ऐसा निश्चल मित्र पाना कौन नहीं चाहता? सबकी चाहत होती है कि कुछ ऐसे मित्र हमारे जीवन में आयें और हमारे सुख-दुःख में भागीदार बने।
- डॉ. मधुसूदन देशपाण्डे
मित्र शब्द की समाज में इस स्वीकार्यता को ध्यान में रखकर ही सेवा भारती, आरोग्य भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, जन कल्याण समिति आदि संगठनों ने इस मित्र शब्द को स्वास्थ्य विषय के साथ जोड़कर “आरोग्य मित्र“ इस शब्द का संयोजन किया। यह मात्र अलंकारिक संयोजन नहीं है, बल्कि इसके पीछे निस्वार्थ सेवाभाव निहित है।
अपना देश गांवों में बसता है। 70 प्रतिशत से अधिक आबादी गांवों में है। शहरी क्षेत्र में भी अनेक बस्तियां हैं, जो उपेक्षित हैं। सुदूर स्थित ग्रामीण अंचलों में और शहरी बस्तियों में स्वास्थ्य की मूलभूत व्यवस्था का अभाव है। इस कारण समय से उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पाती जिससे अनेक बीमारियाँ असमय उन्हें घेर लेती हैं। अनेकानेक कारणों से शासन की स्वास्थ्य व्यवस्थायें या तो अपर्याप्त रहती हैं या जानकारी के अभाव में जन सामान्य उनका लाभ नहीं उठा पाते हैं। इसीलिए सेवा संगठनों से मिलकर युवक-युवतियों को विशेष प्रशिक्षण देकर आरोग्य मित्र बनाया। ये सेवा भावी स्वयंसेवी मित्र, स्वास्थ्य जागरण और प्रबोधन के साथ-साथ सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं का निवारण करने में सहयोगी तथा मार्गदर्शक की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं।
वैसे तो यह कार्य देश के विभिन्न प्रान्तों में अनेक वर्षों से निरन्तर चल रहा है पर इसका प्रगटीकरण आसाम में 18-19 नवम्बर को हुआ, तब पता चला कि आसाम क्षेत्र के सातों प्रान्तों में कितनी बड़ी संख्या में आरोग्य मित्र अपनी सेवाएं दे रहे हैं। गुवाहाटी में सम्पन्न दो दिवसीय आरोग्य चेतना शिविर में 2000 से अधिक आरोग्य मित्र शामिल हुए।
इस योजना के पुरोधा मा. मास्कर कुलकर्णी जी ने यह अलख उत्तर-पूर्व के आसाम क्षेत्र में जगायी है। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संयोजक के नाते देश के सभी प्रांतों में आरोग्य मित्र बनने की शुरूआत आपके कुशल मार्गदर्शन में प्रारम्भ हो गई है। आरोग्य भारती का प्रयास है कि बड़ी संख्या में युवक-युवतियाँ आरोग्य मित्र बनने हेतु सामने आयें ताकि उन्हें विधिवत प्रशिक्षण दिया जा सके।
- डॉ. मधुसूदन देशपाण्डे
No comments:
Post a Comment