Tuesday, February 4, 2014

ओजस आयुर्वेद : ॐ धन्वंतरये नमः॥

ओजस आयुर्वेद : ॐ धन्वंतरये नमः॥:  ॐ धन्वंतरये नमः॥   इसके अलावा उनका एक और मंत्र भी है  ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:,  अमृतकलश हस्ताय सर्वभय व...
स्वस्थ ज्ञान परीक्षा २०१३-१४
राज्य स्तरीय पुरस्कार वितरण कार्यक्रम 
प्रज्ञा दीप हर्षवर्धन नगर भोपाल 



Saturday, December 14, 2013

हमारे अपने आरोग्य मित्र

मित्र का अर्थ होता है हितैषी। आपदा के समय सबसे पहले आने वाला, कंघे से कंधा मिलाकर चलने वाला विश्वस्त सहयोगी। यह एक सर्वसाधारण कल्पना “मित्र“ के प्रति हम सबके मन में रहती है। ऐसा निश्चल मित्र पाना कौन नहीं चाहता? सबकी चाहत होती है कि कुछ ऐसे मित्र हमारे जीवन में आयें और हमारे सुख-दुःख में भागीदार बने। 
मित्र शब्द की समाज में इस स्वीकार्यता को ध्यान में रखकर ही सेवा भारती, आरोग्य भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, जन कल्याण समिति आदि संगठनों ने इस मित्र शब्द को स्वास्थ्य विषय के साथ जोड़कर “आरोग्य मित्र“ इस शब्द का संयोजन किया। यह मात्र अलंकारिक संयोजन नहीं है, बल्कि इसके पीछे निस्वार्थ सेवाभाव निहित है।
अपना देश गांवों में बसता है। 70 प्रतिशत से अधिक आबादी गांवों में है। शहरी क्षेत्र में भी अनेक बस्तियां हैं, जो उपेक्षित हैं। सुदूर स्थित ग्रामीण अंचलों में और शहरी बस्तियों में स्वास्थ्य की मूलभूत व्यवस्था का अभाव है। इस कारण समय से उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पाती जिससे अनेक बीमारियाँ असमय उन्हें घेर लेती हैं।  अनेकानेक कारणों से शासन की स्वास्थ्य व्यवस्थायें या तो अपर्याप्त रहती हैं या जानकारी के अभाव में जन सामान्य उनका लाभ नहीं उठा पाते हैं। इसीलिए सेवा संगठनों से मिलकर युवक-युवतियों को विशेष प्रशिक्षण देकर आरोग्य मित्र बनाया। ये सेवा भावी स्वयंसेवी मित्र, स्वास्थ्य जागरण और प्रबोधन के साथ-साथ सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं का निवारण करने में सहयोगी तथा मार्गदर्शक की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। 
वैसे तो यह कार्य देश के विभिन्न प्रान्तों में अनेक वर्षों से निरन्तर चल रहा है पर इसका प्रगटीकरण आसाम में 18-19 नवम्बर को हुआ, तब पता चला कि आसाम क्षेत्र के सातों प्रान्तों में कितनी बड़ी संख्या में आरोग्य मित्र अपनी सेवाएं दे रहे हैं। गुवाहाटी में सम्पन्न दो दिवसीय आरोग्य चेतना शिविर में 2000 से अधिक आरोग्य मित्र शामिल हुए।  
इस योजना के पुरोधा मा. मास्कर कुलकर्णी जी ने यह अलख उत्तर-पूर्व के आसाम क्षेत्र में जगायी है। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संयोजक के नाते देश के सभी प्रांतों में आरोग्य मित्र बनने की शुरूआत आपके कुशल मार्गदर्शन में प्रारम्भ हो गई है। आरोग्य भारती का प्रयास है कि बड़ी संख्या में युवक-युवतियाँ आरोग्य मित्र बनने हेतु सामने आयें ताकि उन्हें विधिवत प्रशिक्षण दिया जा सके।

-  डॉ. मधुसूदन देशपाण्डे

Saturday, August 3, 2013

अपनी बात

अपनी बात शुरू करते हैं रामू-श्यामू की कहानी से
रामू ने श्यामू को एक टोकरी दिखाते हुए प्रश्न पूछा- श्यामू बता सकते हो इस टोकरी में क्या है? अगर बता दिया तो सारे आम तुम्हारे। श्यामू सोचता रहा, सोचता रहा पर बता नहीं पाया।
रामू ने कहा कोई बात नहीं दूसरा प्रश्न पूछता हूँ बताओ इसमें कितने आम है सही बताओगे तो सारे आठों के आठौं आम तुम्हारे। श्यामू फिर सोच में पड़ गया, वह फिर जवाब न दे सका।
रामू ने कहा चलो अगर तुमने ये बता दिया कि ये आम कौन से हैं तो ये दशहरी आम भी तुम्हारे। श्यामू ने फिर दिगाम पर जोर डाला पर उसे जवाब नहीं सूझा। कुछ समय बाद उसने रामू से कहा कि यार कुछ संकेत तो दो तभी तो जवाब दे पाऊँगा।
वास्तव में श्यामू समझ ही नहीं पाया जवाब तो प्रश्नों में ही छुपे हुए थे।
कहो आया ना मजा .......
अच्छा बताओ यह कहानी यहाँ क्यों बताई। सही समझे .....
बहुत सी बातें हमें मालूम होती है पर हमारा ध्यान उस और नहीं जाता।
प्रकृति हमें सदैव स्वस्थ रहने हेतु शुद्ध हवा, पानी, धान्य, सागसब्जी, फल-फूल आदि देती है बीमारी आने के पहले लक्षणों के द्वारा चेतावनी भी देती है पर हम श्यामू की भांति उन पर ध्यान नहीं देते और अनुचित खानपान की ओर आकर्षित होते रहते हैं।
प्रसिद्ध एण्डो क्रायनोलाजिस्ट  डॉ. जे.आर. डेश का कहना है कि व्यायाम न करने, पैदल न चलने, फास्टफूड खाने, शीतल पेय पीने के कारण बच्चे व किशोर तेजी से मधुमेह के रोगी होते जा रहे हैं। प्रसिद्ध पोषण विशेषज्ञ प्रो. उमेश कपिल जंकफूड को उदररोग की बीमारियों का बड़ा कारण मानते हैं। पीज्जा, बर्गर, नूडल्स आदि के कारण अमेरिका में प्रतिवर्ष 4 लाख लोग मोटापे के कारण होने वाली बीमारियों से मर जाते हैं। हमारे देश में भी 27 प्रतिशत मोटापे के शिकार हैं।
लंदन में 10 हजार बच्चों पर किए परीक्षण के परिणाम बताते हैं कि जो बच्चें सब्जियाँ, दालें व भरपूर पानी लेते हैं उनका दिमाग तेज रहता है। लेकिन जो बच्चे डिब्बा बंद और जंक फूड खाते हैं वे दूसरे लोगों के प्रति असहनशील हो जाते हैं।
यह सब बताने के बाद श्यामू जैसा ये तो नहीं कहोगे न कि कोई संकेत दो।
विद्यार्थी जीवन से ही बच्चें अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बने इस हेतु हमारी संस्था आरोग्य भारती निरन्तर प्रयासरत है। 
डॉ. मधुसूदन देशपाण्डे